Sunday 22 November 2009

नृत्य से बन सकता है आपका भविष्य उज्जवल

नृत्य जिसे खुशी जाहिर करने का साधन माना जाता रहा है, ‘शादी , पार्टी या किसी भी बड़े उत्सव की खुशियों को नृत्य के बिना अधुरा माना जाता है। जहां पहले यह एक रस्म-रिवाज हुआ करता था आज यह लोगो की होबी अर्थार्त उनके ‘शोक के नाम से भी अपनी पहचान बना चुका है वहीं रोजगार के बढ़ते विकल्पों ने नृत्य को भी रोजगार के विकल्पों में ‘शामिल कर लिया है। और यही वजह है कि मनोरंजन उद्योग में पहले से काफी उतार-चढ़ाव आया है। कला अब व्यक्ति की रचनात्मक प्रतिभा की संतुष्टि का माध्यम मात्र नहीं है, बल्कि यह आजीविका का भी आकर्षक साधन बनकर उभरी है।

वैसे तो प्राचीन काल में नृत्य सीखना सम्मानजनक परिवारों में वर्जित माना जाता था लेकिन अब विशव स्तर पर मनोंरजन उद्योग के ग्लैमर एवं चमक-दमक के कारण युवा पीढ़ी के लिए नृत्य सम्मानजनक कैरियर बनता जा रहा है। आजकल म्यूजिक वीडियो भी छाते जा रहे हैं। फिल्मों में नृत्य के दृश्यों में वृद्धि होती जा रही है। इस वजह से कैरियर के रूप में भी इससे विकल्प के तोर पर शामिल किया जाने लगा है। परिणामस्वरूप कैरियर के रूप में नृत्य सभी परिवारों में स्वतंत्र रूप से अपनाया जा रहा है।

नृत्य के विभिन्न आयाम:-
भारतीय ‘शास्त्रीय नृत्य के साथ-साथ जाज, बैलेट, वाट्ज, जिवे तथा टैप डांस जैसे पश्चिमी नृत्यों की भी फिल्म एवं वीडियो क्षेत्र में धूम मची हुई है। भारतीय ‘शास्त्रीय नृत्य की कोई भी 'शैली आठ-नौ वर्षों में सीखी जाती है। साधना और निष्ठां के बलबूते पर ही नृत्य सीखने की योग्यता विकसित होती है।

भारतीय ‘शास्त्रीय नृत्य सीखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। व्यक्ति को पूरी निष्ठां से नृत्य सीखना पड़ता है। यह कहना भी उचित होगा कि ‘शास्त्रीय नृत्य को सीखने के लिए कोई आयु सीमा या विशिष्ट अवधि नहीं है।
‘शास्त्रीय नृत्य में पारंगत होने के लिए भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति निष्ठां , आदर और समझने की तीव्र आकांक्षा तथा कलाकार की मनोवृति होना जरूरी है। बुनियादी तौर पर नृत्य स्वतंत्र कार्य है। ‘शास्त्रीय नृत्य ग्रुप में रंगमंच पर प्रदर्शित किए जाते हैं। अकेले स्टेज पर नृत्य करना बहुत जरूरी है। इससे जन-साधरण के सामने आने का समुचित अवसर मिलता है।

नृत्य के क्षेत्र में उज्जवल करियर:
पाठ्यक्रम के समापन पर छात्र की प्रतिभा और उत्कृष्ठ स्तर के आधार पर ही संस्थान छात्र-छात्राओं को नियमित कलाकार के रूप में ग्रुप में ‘शामिल कर लेता है। अन्यथा प्रशिक्षण के दौरान छात्र को स्कूल द्वारा आयोजित शो के माध्यम से इतना मौका मिल जाता है कि वह व्यक्तिगत निष्पादन क्षमता के आधार पर अपनी ' शाखा खोल सकता है।
वैसे तो वेस्टर्न डांस हमारी भारतीय सभ्यता में शामिल नही है लेकिन आज युवा पीढ़ी इसकी ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है, क्योंकि इस क्षेत्र में पैसा अधिक मिलता है। इसमे काफी ग्लैमर है। आजकल कुकुरमुत्ते के समान म्यूजिक एलबम तथा डांस वीडियो सभी जगह छा रहे हैं। हिंदी पोप एलबम तथा डिस्को में हाई पोप सवार्धिक लोकप्रिय नृत्य है।

पारंपरिक रूप से देखा जाए तो आजकल जाज नृत्य काफी ज्यादा प्रसिद्ध । इसकी अत्यधिक प्रशंसा की जाती है। जाज नृत्य सीखने में कम से कम दो वर्ष लगते हैं। बैलेट के बारे में भी समान स्थिति है। इसमें ‘शास्त्रीय और आधुनिक दोनों रूप हैं। अनेक स्कूल खुल जाने के कारण पश्चिमी नृत्य लोकप्रयि हो चुके हैं।

आज एक ट्रेंड वेस्टर्न डांसर के लिए मार्केट में काम की कोई कमी नही हाई। भारत में यह करियर का एक नया क्षेत्र है, अत: इसमें अनेक संभावनाएं है। एक अच्छे डांसर किसी भी कोरियोग्राफी टीम में शामिल हो सकते हैं, जो नियमित रूप से स्टेज पर प्रदर्शन करते हैं। सबसे ज्यादा लोकप्रयि रूप म्यूजिक एलबम है।
अत: यह क्षेत्र समूचे विश्व में पर्यटन का भी मौका देता है। सामान्यत: भारतीय सांस्कृतिक अनुसंधान परिषद् विदेशों में दौरों पर जाने वाले छात्रों या कलाकारों को दी जाने वाली धन राशिया तय करती है। यद्यपि दिल्ली में नृत्य सीखने के लिए छात्रों को अधिकाधिक अवसर मौजूद हैं। लेकिन देश के दक्षिणी भाग में भी नृत्य सीखने के असाधारण अवसर उपलब्ध हैं।

रोजगार के अवसर
अच्छी तरह से प्रशिक्षित शिष्य आगे चलकर अध्यापन क्षेत्र में चुन सकता है। या किसी भी कोरियाग्राफी ग्रुप में शामिल हो सकता है। देश में निष्पादन के लिए कोई ग्रुप एक शो के कम से कम पचास से साठ हजार रूपये तक लेता है। अनेक वर्षों से भारतीय ‘शास्त्रीय नृत्य विदेशों में अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है, क्योंकि अधिकाधिक संख्या में विदेशी इन नृत्य शैलियों को समझने लगे है।
विभिन्न कंपनियां संविदा के आधार पर नृतक -नृतकियां रखती हैं। इसके अलावा फिल्मों में हमेशा कोरियोग्राफी की मांग रहती है।

नृत्य सिखाने वाली पाठशालायें :-
यदि आपको कैरियर के रूप में भारतीय 'शास्त्रीय नृत्य सीखना है तो अनेक अवसर मौजूद हैं। भरनाट्यम के लिए नाट्यवृक्ष और नाट्यशाला ’, ओडिसी के लिए नृत्यग्राम,’ कत्थक के लिए गन्धर्व महाविद्यालय , भारतीय कला केंद्र , दिल्ली जैसी उल्लेखनीय संस्थाएं इस क्षेत्र में योगदान दे रही हैं।

उदय ‘शंकर अकादमी ऑफ़ क्रीएटिव डांस ’ की दिल्ली और कोलकाता में ‘शाखाएं हैं। रचनात्मक नृत्यों के इस स्कूल में सृजनात्मकता और नवाचार पर बल दिया जाता है। यह नौ वेर्शों का पाठ्यक्रम है और तीन वर्षों की अवधि पर छात्र को डिप्लोमा दिया जाता है।

मिल्स कोलेज , केलीफोर्निया प्राचीनतम संस्थाओं में से एक है। यहां सर्वाधिक प्रख्यात (आधुनिक नृत्य) शेलीँ सिखाई जाती है। भारतीय ‘शास्त्रीय नृत्य और पश्चिमी नृत्य दोनों के लिए पूर्व योग्यता होना जरूरी नहीं है।

’यामक डावर इंस्टीटयूट ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स का काफी नाम है । दिल्ली और मुंबई में इसकी कई ‘शाखाएं हैं।
वेतन:-
चूंकि इस क्षेत्र में नौकरी न होकर स्वंय का काम होता है इसलिए आप यदि कहीं नौकरी भी करते हैं तो आसानी से आपको डांस टीचर के तौर पर 8000 से 10,000 तक मिल सकता है और साथ ही आप अपने घर पर भी डांस की क्लास दे सकते हैं। और जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं वैसे-वैसे आप स्टेज शो करके या तैयार करवाकर भी अच्छा कमा सकते हैं।

प्रस्तुति:- प्रीति पाण्डेय

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