Monday 25 February 2013

क्या हम मनाएं महिला दिवस?


गौड़सन्स टाइम्स के मार्च पहले अंक की प्लानिंग कर रही थी कि इस अंक में क्या-क्या जाना चाहिए। हमारे संपादक महोदय से एक दिन पहले ही इस विषय पर मीटिंग हो चुकी थी उन्होंने भी कहा  कि इस बार का अंक पहले से भी अच्छा निकलना चाहिए। मैं सर के कमरे से निकलकर पूरे दिन और यहां तक की रात भर यही सोचती रही  कि  इस अंक को और अच्छा कैसे बनाया जाए, सर ने कहा था कि मार्च में महिला दिवस आता है उस पर भी अच्छा मैटर जाना चाहिए। मैं इसी सोच में पड़ी थी कि कैसे और क्या करूं  कि  इस अंक को बेहतर और प्रशंसनीय निकाल सकूं। रात भर सोचने के बाद भी कुछ न सोच सकी। सुबह आफिस आकर फिर से सोचने लगी कि क्या करूं फिर अचानक से मन किया कि क्यों न महिला दिवस पर ही मैं कुछ अच्छे लेख और परिचर्चाएं एकत्र करू। बस जैसे ही लिखने बैठी कि मन ने अन्दर से झकझोर दिया कि कैसा महिला दिवस? कैसा होता है ये महिला दिवस? क्या हम उस मुकाम को हासिल कर चुके हैं जो एक महिला को करना चाहिए? क्या हमें हमारी मंजिल मिल चुकी है? फिर क्यों मनाते हैं हम यह महिला दिवस? क्या महिला वर्ग मात्र कुछ सफल महिलाओं में समाप्त हो जाता है? हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं क्योंकि हमारा देश स्वतंत्र है लेकिन हम महिलाओं को तो आज भी सही मायने में स्वतंत्रता दिवस मनाने का कोई हक नहीं अभी कहां हुई हैं हम स्वतंत्र। क्या केवल अंग्रेजो से स्वतंत्रता मिलने से ही हम महिलाएं स्वतंत्र हो चुकी हैं। अंग्रेज गए लेकिन हमारे अपने ही समाज के लोगों ने महिलाओं को आज भी कैद किया हुआ है। पहले अंग्रेज भारतीय महिलाओं  की इज्जत को कुचलने में अपनी शान समझते थे लेकिन आज तो हम महिलाएं अपने ही देश यानी अपने ही घरों में महफूज नहीं है। कहते हैं लोग अपने घरों में शेर होते हैं लेकिन हम महिलाएं अपने खुद के घर में डर-डर के रहती हैं। कब किसके साथ क्या हो जाए किसी को इस बात का अंदेशा तक नहीं होता। जहां पुरूष घर से बाहर जाते समय एक बार भी घड़ी की सूई पर नजर नहीं मारता वहीं एक महिला को घर से निकलने से लेकर घर पहुंचने तक अपनी नजर हर वक्त घड़ी की उस सुई पर रखनी पड़ती है। कहीं देर न हो जाए , कहीं ज्यादा अंधेरा न हो जाए , अगर ज्यादा देर हो जाएगी तो पड़ोसी क्या कहेंगे, घरवाले क्या कहेंगे। देखा जाए तो एक महिला खुद अपने से ही रोज लड़ती है सही सलामत घर पहुंचने की जद्दोजहत में एक लड़की कई बार कुछ ऐसे गलत कदम उठा देती है जो उसके लिए और भी मुश्किले पैदा कर देते हैं।  जैसे घर समय पर पहुंचने की जल्दी में किसी भी गलत आॅटों या गलत मार्ग से जाना। बस ये ही नहीं और भी कई ऐसी बाते हैं जो महिलाओं को महिला दिवस मनाने की इजाजत नहीं देती कम से कम अभी तो बिल्कुल भी नहीं। जिस दिन हमारे समाज में हर एक महिला अपने आप को महफूज समझने लगे वहीं दिन हमारे लिए कायदे से महिला दिवस होगा।

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