Wednesday 24 March 2010

एक लड़की की कहानी एपिसोड (7)

मुझे और माँ को लगा की कही दादी माँ की भी इस तरह का कोई टेस्ट न करने को कहे? जैसे जैसे हमारा नंबर आ रहा था वैसे वैसे माँ और मेरी हालत डर के मारे खराब हो रही थी, दादी ने उस ओरतसे पूछा की अच्छा यंहा डॉक्टर यह भी बता देंगे की garbhvati महिला के पेट में लड़का है या लड़की? उस ओरत ने बड़ी ही उत्तेजित आवाज में कहा हाँ-हाँ बिलकुल, क्या तुम भी अपनी बहु का यह ही पता कराने आई हो? दादी ने कहा नहीं, यह गिर गयी थी सो मैंने सोचा की एक बार डॉक्टर साहब को दिखा लूँ की सब कुछ ठीक तो है कहीं बच्चे को कोई चोट तो नहीं आई, यही दिखाने आई हूँ। उस ओरत ने बड़ी ही ठंडी आवाज में उत्तर दिया अच्छा, मुझे लगा की आप भी लड़का या लड़की की जांच करवाने है, लगता है आपने पहले कही से जांच करा ली होगी, और जांच में लड़का ही बताया होगा, तभी आपको इतनी चिंता हो रही है, उस टाइम मेरी दादी ने थोडा समझदारी भरा जवाब दिया की अरे बहन क्या बात कर रही हो, लड़का हो या लड़की अगर बहु गिर जायेगी तो चिंता तो होगी न, वैसे अभी मैंने अपनी बहु की कही भी जांच नहीं काराई। और ओरत ने कहा की अरे जब आई हो तो यह काम भी करा ही लो दोनों काम एक साथ हो जायेंगे, अगर लड़का होगा तो यंहा से खुशु बटोरती हुई जाना और हाँ मुझे भी मिठाई खिलाना और अगर लड़की हुई तो यही पर रफा दफा करना, मैं भी यही सोच कर अपनी बेटी को लाइ हूँ, क्यूंकि अगर लड़की हुई तो मेरी बेटी की जेठानी उसे ताने मारेगी और सास भी मेरी बेटी से ज्यादा उसकी जेठानी को प्यार करेगी क्यूंकि उसके बेटा है। इसलिए मैं नहीं चाहती की कोई मेरी बेटी को ताने मरे, इतने में मेरी दादी ने कहा की क्या तुमने इसके ससुराल वालो से इस बात की इज्जाजत ले ली है? उस ओरत ने कहा की नहीं उन्हें नहीं पता, मेरी बेटी ने डर के मारे अभी अपने ससुराल में किसी को नहीं बताया सिर्फ अपने पति और मुझे ही बताया है, और मेरे दामाद भी यही चाहते है की उनकी पत्नी यानि मेरी बेटी को ससुराल में कोई ताने ने मारे इसलिए जांच में अगर लड़की है तो उसे यही रफा दफा कर देंगे और अगर लड़का है तो मेरी बेटी अपनी ससुराल में बता देगी और अपनी सास की मन की होकर रहेगी, उस ओरत और दादी की यह सारी बातें सुनकर मेरी और माँ की जान जा रही थी। दादी उस ओरत से कुछ और भी पूछना चाहती थी की इतने में उस ओरत का नंबर आ गया और वो अन्दर डॉक्टर के पास अपनी बेटी को लेकर चली गयी, दादी अभी शांत बैठी थी और दादी की इस शांति का मतलब मैं न जाने क्या क्या निकल रही थी, मुझे लग रहा था की शायद दादी माँ की भी जांच कराने को न कह दे? माँ ने डरते हुए दादी से पूछा की माताजी क्या हुआ आप क्या सोच रही है? दादी ने कहा की मैं सोच रही हूँ की..........................

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